anulom vilom ke labh in hindi ( अनुलोम विलोम के फायदे और नुकसान )

अनुलोम-विलोम नाड़ी शोधन प्राणायाम के अंतर्गत आता है। इसके द्वारा हम अतिरिक्त शुद्ध वायु को अंदर लेकर अशुद्ध वायु कार्बन-डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं। इस प्राणायाम से रक्त की शुद्धि होती है। शुद्ध रक्त हृदय से होते हुए शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है। फेफड़ों की कार्यकुशलता बढ़ती हैं और आयु में वृद्धि होती है। इसके रोजाना के अभ्यास से कई लोगों को चमत्कारिक परिणाम देखने को मिले हैं।

अनुलोम विलोम प्राणायाम से मन को आराम मिलता है और यह मनुष्य को ध्यानस्थ स्थिति में प्रवेश करने के लिए तैयार करता है। हर दिन बस कुछ ही मिनटों के लिए यह अभ्यास करने से यह मन को स्थिर, खुश और शांत रखने में मदद करता है। यह संचित तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।

शरीर को स्वस्थ और दीर्घायु बनाने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को नियमित रूप से योग और व्यायाम करने की सलाह देते हैं। योग में प्राणायाम को सेहत के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। इसमें भी अनुलोम-विलोम योग के अभ्यास को स्वास्थ्य विशेषज्ञ सबसे फायदोमंद मानते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि इसके नियमित अभ्यास से श्वास और रक्त परिसंचरण को ठीक रखने सहित कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लाभ हो सकते हैं।

योग विशेषज्ञों के मुताबिक अनुलोम विलोम श्वास का अभ्यास सुरक्षित है और इसे सभी लोग कर सकते हैं। इसके नियमित अभ्यास को कई गंभीर रोगों के खतरे को कम करने में लाभदायक पाया गया है। आइए आगे की स्लाइडों में अनुलोम विलोम से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।

नाड़ियाँ मानव शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल है जो विभिन्न कारणों से बंद हो सकती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम साँस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम के रूप में भी जाना जाती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं।

 

नाड़ियों में बाधा का क्या कारण है?

  • नाड़ियाँ अधिक तनाव के कारण बंद हो सकती हैं।
  • भौतिक शरीर में विषाक्तता भी नाड़ियों की रुकावट की एक कारण हो सकता है।
  • नाड़ियाँ शारीरिक और मानसिक आघात के कारण बंद हो सकती है।
  • अस्वस्थ जीवन शैली।

 

क्या होता है जब ये नाड़ियाँ बंद हो जाती हैं?

इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ, मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण नाड़ियाँ हैं।

जब इड़ा और नाड़ी ठीक तरीके से काम नही करती या बंद हो जाती हैं तब व्यक्ति ज़ुकाम, मानसिक ऊर्जा में कमी, अस्थिर पाचन क्रिया, बंद बायाँ नथुना, और निराश व उदासी का अनुभव करता है। जब पिंगला नाड़ी ठीक रूप से काम नही करती अथवा बंद हो जाती है तब गर्मी, जल्दी गुस्सा और जलन, शरीर में खुजली, त्वचा और गले में शुष्कता, अत्यधिक भूख, अत्यधिक शारीरिक या यौन ऊर्जा और दायीं नासिका बंद होने का अनुभव होता है।

 

नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) करने के मुख्य कारण

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम से मन को आराम और शांति का अनुभव होता है और इसे ध्यानस्थ स्थिति में प्रवेश करने के लिए तैयार करता है।
  • हर दिन बस कुछ ही मिनटों के लिए यह अभ्यास मन को स्थिर, खुश और शांत रखने में मदद करता है।
  • यह संचित तनाव और थकान को दूर करने में बेहद मदद करता है।
  • सर्वप्रथम किसी साफ जगह का चुनाव करके वहां योगा मैट या कोई साफ चादर बिछाएं।
  • अब आप पहले पालथी मार कर सही तरीके से योग के मुद्रा में बैठ जाएं, फिर कमर और गर्दन को सीधा रखें।
  • अब आंखें बंद करके प्राणायाम करने के लिए दाहिने हाथ के अंगूठे से पहले दाएं नाक का छेद को बंद करें, अब बाएं नाक के छेद से धीरे-धीरे जितना संभव हो सांस को अंदर लें और उसे दूसरी उंगली से बंद कर लें।
  • इसके बाद दाईं नासिका से भरी गई सांस धीरे-धीरे बाहर निकाल दें। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को उल्टी दिशा में भी दोहराएं।
  • ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लिया जाता है ।
  • जो लोग पद्मासन की मुद्रा में नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं।
  • अगर किसी के लिए जमीन पर बैठना बहुत मुश्किल है, तो वह कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
  • कमर को सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
  • एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
  • इसके बाद अपने दाहिने (सीधे) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
  • सांस लेने में बिल्कुल जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी अधिक गहरी सांस लें।
  • अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाईं नासिका को बंद करें और दाईं नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • कुछ सेकंड का विराम लेकर दाईं नासिका से गहरी सांस लें।
  • अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • इस प्रकार अनुलोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा।
  • एक बार में ऐसे पांच से सात चक्रों को आप कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।
  • यह प्राणायाम नियमित रूप से सुबह-शाम खाली पेट किया जाता है। इससे कई प्रकार के रोगों में लाभ होता है । एक साथ 5 से 10 बार आप इसे कर सकते हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम 5 से 15 मिनट तक किया जा सकता है। नीचे हम आपको अनुलोम-विलोम के महत्पूर्ण लाभों से परिचित करवा रहे हैं।

 

anulom vilom ke labh in hindi ( अनुलोम विलोम के फायदे और नुकसान )

मस्तिष्क की कार्यक्षमता के बढ़ाता है

96 मेडिकल छात्रों पर किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि अनुलोम विलोम का अभ्यास चिंता और तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है। वैज्ञानिकों का मनना है कि इसके रोजाना अभ्यास करने से मस्तिष्क की क्षमता में बढ़ोतरी होती है साथ ही अवसाद जैसी समस्याओं का खतरा कम होता है।

ऑक्सीजन प्रवाह को बेहतर बनाए

हर रोज अनुलोम-विलोम करने से खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। इसके अलावा यह शरीर में मौजूद 72 हजार नाड़ियों को शुद्ध करके उनमें नई ऊर्जाओं का संचार करने का काम करता है। शरीर की सभी कोशिकाओं को नई ऊर्जा से भर देता है। इसे करने से हाई बीपी की समस्या नियंत्रित रहती है और दिल मजबूत होता है।

सांस की समस्यायों से निजात दिलाए

जिन्हे सांस संबन्धी बीमारी हो या सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, या जिन्हे तेज सांसों की दिक्कत है, उन्हें यह प्राणायाम नियमित रूप से करना चाहिए। इसे करने से सांस लेने में होने वाली सारी दिक्कत ठीक होती हैं और फेफड़ों में ठीक से ऑक्सीजन भर पाता हैं।

सोचने समझने की शक्ति का विस्तार

अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से इंसान के दिमाग का बायां और दायां दोनो हिस्सा संतुलित रहता है। इंसान को सोचने समझने में आसानी होती है और कार्यकुशलता बेहतर होती है। इसके अलावा कंसंट्रेशन लेवल में भी बढ़ोतरी होती है।

फेफड़ों को ताकतवर बनाए

यह प्राणायाम आपके फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर करता है। ये फेफड़ों में फंसे विषाक्त गैसों को बाहर निकालकर उन्हें स्वस्थ बनाता है। इसके अलावा ये फेफड़ों को मजबूत बनता है और उनकी ताकत को बढ़ाता है। जिन लोगों का फेफड़ा स्मोक की वजह से कमजोर हो चुका हैं, वे यदि स्मोक को छोड़ने के बाद भी यदि इस प्राणायाम का रोजाना नियमित अभ्यास करें, तो अपने फेफड़ों को फिर से काफी हद तक साफ और मजबूत कर सकते हैं।

तनाव को दूर करने में मददगार

इस प्राणायाम के रोजाना अभ्यास करने से दिमाग के कोशिकाओं में रक्त संचार अच्छे से होता है और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है। इससे आपका मन ताजगी से भरा होता है। आपको तनाव और स्ट्रेस जैसी समस्याएं नहीं होतीं। चिड़चिड़ापन, घबराहट, नींद नहीं आना, डिप्रेशन और श​रीर में कमजोरी आदि समस्याएं से निजात दिलाती है।

कैल्शियम की कमी को ठीक करे

आजकल जोड़ों के दर्द की समस्या आम हो चली है। यदि आप भी जोड़ों के दर्द के समस्या से हमेशा परेशान रहते हैं तो इस प्राणायाम का अभ्यास आपको अवश्य करना चाहिए। यह प्राणायाम आपके शरीर में कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करता है और आपके जोड़ों के दर्द के समस्या से बहुत हद तक निजात दिलाता है।

आंखों की रौशनी को बढ़ाए

आंखों की रौशनी को सही रखने के लिए यह एक बेहतर प्राणायाम है और इसे करना भी बेहद आसान है। इस प्रणायाम को 3 से 5 मिनट तक करने से आंखों की रौशनी को संतुलित करने में काफी लाभ होगा।

हीमोग्लोबिन संतुलित करे

शरीर में हीमोग्लोबिन की संख्या में स्तर में कमी आने से एनीमिया होता है। यह प्राणायाम एनीमिया में बहुत लाभदायक माना गया है। इस प्राणायाम को नियमित रूप से करने पर शरीर में हिमोग्लोबिन की संखता की मात्रा संतुलित होती है।

माइग्रेन की समस्या से निजात दिलाए

नाड़ी तंत्र में विकृति से माइग्रेन उत्पन्न होता है। इससे सिर के आधे भाग में बहुत तेज दर्द होता है। यह आधे घंटे से लेकर दो दिनों तक रह सकता है। इस समस्या में नियमित रूप से अनुलोम-विलोम करने से यह बहुत हद तक कारगर साबित होता है।

नींद संबंधी समस्याएं खत्म करे

आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी मे व्यक्ति को स्वास्थ्य, मानसिक, आर्थिक, परिवारिक परेशानी व अत्यधिक थकान के कारण भी ठीक से नींद नहीं आती है। हर रोज रात को सोने से पहले तथा खाना खाने 2 या तीन घंटे बाद यदि आप अनुलोम-विलोम करते है तो इससे अनिद्रा से निश्चित तौर पर छुटकारा मिल जाता है।

पाचन संबंधी समस्याओं में असरकारक

अनुलोम विलोम प्राणायाम में सांस अंदर बाहर करने से पेट को अंदर से मसाज मिलता है। जिससे पाचनतंत्र काफी अच्छा रहता है। जो हमारे शरीर के अंदरूनी भागों को तरोताजा रखने में मदद करता है। इसके कारण हमे ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है। यह आंतो को आंतरिक मजबूती बढ़ाता है। यह मेटाबॉलिज्म के बढ़ाकर वजन को नियंत्रित रखने में सहायक है। खून में ऑक्सीजन का ज्यादा बहाव आंतरिक अंगो को नवजीवन देता है।

त्वचा और बालों में निखार लाने में सहायक

आजकल हर दूसरा इंसान अपनी त्वचा और बालों की समस्या से परेशान रहता है। अनुलोम-विलोम से शरीर की आंतरिक सफाई होने से त्वचा प्राकृतिक रूप से साफ होती है। यह हमारे रक्त को शुद्ध कर के त्वचा के रोग से छुटकारा दिलवाता है। यह नाड़ियो को शुद्ध कर के उन्हें खोलता है, जिस से रक्त का प्रवाह बढ़ने से त्वचा को पोषण मिलता है। यह प्राणायाम तनाव को कम करके ऑक्सीजन के बहाव को बढाता है। रक्त का बहाव बालों की जड़ो में मजबूती और पोषण देता है। प्राणायम बालों का झड़ना कम करता है, साथ ही बालों को सफ़ेद होने से रोकता है

अनुलोम विलोम प्राणायाम (नाड़ी शोधन प्राणायाम) के निषेध

इस प्राणायाम को करने के लिए कोई भी निषेध नही है। आप इस साँस की प्रक्रिया को एक श्री श्री योग शिक्षक से सीखने के बाद, एक दिन में 2-3 बार, खाली पेट में आप इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं।

योग से शरीर व मन का विकास करता है। योग के शारीरिक और मानसिक लाभ हैं परंतु इसका उपयोग किसी दवा आदि की जगह नही किया जा सकता है ।यह आवश्यक है कि आप यह योगासन किसी प्रशिक्षित श्री श्री योग प्रशिक्षक के निर्देशानुसार ही सीखें और करें। यदि आपको कोई शारीरिक दुविधा है तो योगासन करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी भी श्री श्री योग प्रशिक्षक से अवश्य संपर्क करें। श्री श्री योग कोर्स करने के लिए अपने नज़दीकी आर्ट ऑफ़ लिविंग सेण्टर पर जाएँ।

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