पुस्तकालय शब्द का संधि विच्छेद करने पर हम “पुस्तक” और “आलय” दो अलग शब्द पाते हैं। जहां पुस्तक का अर्थ किताबों से है और आलय का अर्थ घर से, अर्थात पुस्तकालय किताबों का घर है।
पुस्तकें इंसान को सच्चे और अच्छे पथ पर अग्रसर होने की सिख देकर उन्हें पथभ्रष्ट होने से बचाती हैं। श्रेष्ठ पुस्तकें श्रेष्ठ व्यक्ति, श्रेष्ठ समाज और श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण करने में बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वह स्थान जहाँ अनेकों प्रकार के ज्ञान, स्रोतों, सेवाओं, सूचनाओं आदि का संग्रह हो पुस्तकालय कहलाता है।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने कहा था की:
“मै नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूँगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होगी वहाँ आप ही स्वर्ग बन जाएगा”
मनुष्य के जीवन में पुस्तकों का महत्त्व किसी भी मूल्यवान् वस्तु से कहीं ज्यादा अधिक है। मूल्यवान गहने जेवर हमारे शरीर को ऊपर से आकर्षक कर सकते हैं लेकिन पुस्तकें हमारे व्यक्तित्व और चरित्र को बेहतर बनाती हैं। ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें हमें नैतिकता की ओर ले जाती हैं तथा हमारी पशुओं वाली वृति का नाश करती हैं। हम इस प्रकार पुस्ताकालय के महत्त्व को जान पाते हैं।
पुस्तकालय के लाभ
व्यक्ति के मानसिक स्थिति का विस्तार करने के लिए पुस्तकालय एक बेहतर माध्यम है। पुस्तकें ही मनुष्य की एक सबसे सच्ची मित्र होती है। पुस्तकालय एक अध्ययन स्थान है, जहां हम शांति से बैठकर ज्ञानार्जन कर सकते हैं।
स्वाध्ययन की आदत का विकास होना
पुस्तकालय एक ऐसा शांत माहौल वाला स्थान होता है, जहाँ बालक खुद जाकर पुस्तकें आदि को लेकर स्वयं अध्ययन करते है। परिणामतः विद्यार्थियों में स्वाध्याय की आदतों का विकास होता है। पुस्तकालयों में विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की किताबों को अध्ययन का अच्छा अवसर मिलता है।
ग्रुप शिक्षण के दोषों को दूर करे
ग्रुपिंग में शिक्षण की विशेषता यह है कि इसमें विभिन्न प्रकार के विद्यार्थी जिनकी रुचि, बुद्धि, योग्यता आदि अलग होते हैं और यहां सब एक साथ अध्ययन करते हैं तो इस कारण सभी विद्यार्थियों को एक प्रकार की शिक्षा नहीं मिल पाती है। इस दोष को दूर करने में पुस्तकालय की अहम् भूमिका निभा सकती है। वहाँ जाकर छात्र अपनी पसंद की पाठ्य-पुस्तक को ले कर अध्ययन करता है।
छात्रों और कामकाजी लोगों के लिए उपयोगी
लाइब्रेरी न केवल विद्यार्थियों के खाली समय के उपयोग के लिए उपयोगी है, वरन् यह छात्रों,कामकाजी पुरुष और महिलाओं के लिए भी समान रूप से उपयोगी होता है। लाइब्रेरी व्यक्तियों को अपनी रुचि, योग्यता, कार्यक्षमता और कार्यकुशलता को भी आगे बढ़ाता है। यहाँ आकर लोग अपने ज्ञान का विस्तार करते हैं। विद्यार्थी यहीं अपने मानसिक शक्तियों का विकास करते हुए हर प्रकार के राजनीतिक, आर्थिक, पारिवारिक आदि स्थितियों के लिए अपने दृष्टिकोण का विस्तार करते हैं।
पुस्तकालयों के द्वारा सामान्य ज्ञान की वृद्धि में विस्तार होना
लाइब्रेरी एक ऐसा स्थान है, जहाँ विद्यार्थी केवल अपने मन पसन्द के विषय का स्वेच्छा से अध्ययन करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि इनके माध्यम से छात्रों के जनरल नॉलेज में भी वृद्धि होती है। विद्यार्थी बिना किसी व्यय के ही यहाँ पर पुस्तकों का अध्ययन करते हुए अपने शब्द-भण्डार में वृद्धि करते हैं।
मौन वाचन की आदत का विकास होना
लाइब्रेरी का एक महत्त्व यह भी है कि इसके द्वारा विद्यार्थियों में मौन वाचन की आदत बढ़ती है, क्योंकि पुस्तकालय में एक साथ बहुत से बच्चे बैठकर पढ़ते हैं, इस स्थिति में वहाँ पर एक साथ बोल-बोल कर पढ़ पाना सम्भव नहीं हो पाता है।
गरीब विद्यार्थियों को लाभ
हमारे देश में बहुत अभिभावक ऐसे हैं जिनके पास रहने खाने का कोई ठिकाना नहीं है, तो उनके बच्चे स्कूल की पढ़ाई भी बहुत मुश्किल से ही कर पाते हैं। जिनके बच्चों में पढ़ाई की लालसा होती है उनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह अपने बच्चों को पढ़ा सकें
ऐसे गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए पुस्तकालय बहुत ही फायदेमंद साबित होती है। यहां पर बच्चों को पढ़ने की पूरी आजादी मिलती है और इस प्रकार वह आसानी से हर प्रकार की किताबों से अपनी जानकारी में वृद्धि कर सकते हैं। जिनके पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं होते हैं उन्हें पुस्तकालय हर प्रकार की किताबों को मुफ्त में उपलब्ध करा देती है। जिन विद्यार्थियों को घर में पढ़ाई करना पसंद है वो पुस्तकालय से बहुत कम रुपयों में कुछ दिनों के लिए पुस्तकों को ले जाकर आराम से पढ़ सकते हैं।
संसार के लगभग सभी किताबों का उपलब्ध होना
भारत में अनेकों भाषाएं हैं और यहां कई प्रकार की भाषा का ज्ञान रखने वाले लोग हैं। अलग-अलग भाषाओं की किताब को पढ़ने का शौक भी बहुत लोग रखते हैं। लाइब्रेरी में हर प्रकार के विषय और भाषा की किताबें उपलब्ध होती है।
इस तरह जो लोग विदेशी भाषा के किताबों का अध्ययन करने के शौकीन होते हैं लेकिन उन्हें मिल नहीं पाता है तो उनके लिए पुस्तकालय ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर यह संभव हो सकता है।
भाषा शिक्षण में पुस्तकालय का महत्वपूर्ण उपयोग
भाषा शिक्षण का उपयोग अब सिर्फ पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि पढ़कर तर्क देना, समझना, विचारना, चर्चा-परिचर्चा में प्रतिभाग करना, योजना बनाना, कल्पना करना, अपने मन की बात साझा करना आदि बहुत-सी अन्य दक्षताएँ भी भाषा शिक्षण का ही अंग होती हैं। जिन पर हम कभी अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करते हैं। सही शब्द, भावनाएं, भाव सम्प्रेषण के अभाव में हम अपनी बात सही से सामने वाले इंसान तक पहुँचा नहीं पाते हैं। हम अपने अनुभवों के आधार पर हर चीज को देखते हैं परखते हैं और सामने वाले लोग तक पहुंचाते हैं, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम किसी स्थिति या विषय पर अधिक-से-अधिक विचार करके अनुभव करना चाहिए और किसी विषय को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखते हुए उसके बारे में अपनी एक अलग समझ बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
इतिहास को संभाले रखना
आज इंसान जो भी इतिहास के बारे में जानते हैं वो सिर्फ किताबों के बदौलत ही जानते हैं। यह सब सिर्फ-और-सिर्फ पुस्तालयों की वजह से ही संभव हो पाया है।
हमे अपने पुराने सभ्यताओं और संस्कृतियों के बारे में किताबों के जरिए ही जानने को मिलता है। इतने लंबे वक्त से हर प्रकार की जानकारी को संजोकर रखने की श्रेय सिर्फ पुस्तकालयों को ही दिया जाना चाहिए।