“सावधानीपूर्वक और क्रमबद्ध तरीके से किए गए प्रकृति में उपस्थित विभिन्न वस्तुओं की प्रकृति और उनके व्यवहार जैसे गुण इत्यादि का अध्ययन करने को ही विज्ञान कहते है।”
सर्वप्रथम विज्ञान से प्राप्त चीजों को अगर तरीके से इस्तमाल किया जाए तो इसका कोई नुकसान नही है,लेकिन इसके गलत उपयोग से इसके नुकसान भी हैं।
विज्ञान का एक पक्ष वरदान है तो वहीं दूसरा पक्ष अभिशाप भी है।
“विज्ञान का अर्थ ही है विशेष ज्ञान।”
मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार जो भी नए-नए वस्तुओं का आविष्कार किया है, वो सब विज्ञान का ही देन हैं। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के अनगिनत आविष्कारों के कारण मनुष्य का जीवन पहले से बहुत अधिक आरामदायक हो गया है।
सेवक बनकर वरदायी जो, स्वामी बनकर है अभिशाप।
नर का ही उपयोग ज्ञान को, पुण्य बनाता या फिर पाप।। एक ही वस्तु एक पक्ष से देखने पर वरदान प्रतीत होती है और वही दूसरे पक्ष से देखने पर अभिशाप प्रतीत होती है। औषधि के रूप में जो विष जीवन–रक्षक है, वही विष के रूप में प्राणघातक है।
एक ही लोहे से, क्षत्रिय की तलवार और शल्य–चिकित्सक की छुरी बनाई जाती है किन्तु इसमें विष या लोहे को दोषी नहीं बताया जा सकता। ज्ञान का उपयोग ही उसके परिणाम को निश्चित करता है। विज्ञान भी विशिष्ट और क्रमबद्ध ज्ञान ही है। हम चाहें तो इसे सत्य, शिव और सुन्दर की अर्चना बना दें और चाहें तो उसे महाविनाश, अमंगल और कुरूपता का उपकरण बना दें।
विज्ञान के गुण और दोष (Vigyan ke hani aur labh)
विज्ञान एक वरदान के रूप में
दैनिक जीवन मे विज्ञान का महत्वपूर्ण भूमिका है जिसे दरकिनार नही किया जा सकता है। वर्तमान युग विज्ञान का युग है, व्यक्ति कम-से-कम मेहनत में सुख पाना चाहता है। विज्ञान ने हमारे जीवन में अलग-अलग बदलाव किए हैं। सर्वप्रथम विज्ञान ने दैनिक जीवन को बहुत आरामदायक बनाया है। दैनिक जीवन में काम आने वाले उपकरण जैसे मिक्सर-ग्राइंडर, वाशिंग मशीन, बिजली, रेडियो ,कंप्यूटर, फ्रिज, एयर कंडीशनर, कूलर, एलपीजी कनेक्शन, परिवहन के साधन, मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि जीवन को कितना अधिक सुलभ बना दिया है। मोबाइल, इंटरनेट, ईमेल्स, मोबाइल पर 4जी-5जी और इंटरनेट के माध्यम से फेसबुक, ट्विटर ने तो वाकई मनुष्य की जिंदगी को पूरी तरह से बदलकर ही रख दिया है। जितनी जल्दी वह सोच सकता है लगभग उतनी ही देर में जिस व्यक्ति तक चाहे अपनी बात पहुंचा सकता है, उससे बातें कर सकता है। चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न स्थित हो।
विज्ञान की मदद से अब लंबी दूरी तय करना आसान हो गया है। यातायात के विभिन्न प्रकार के साधनों से आज यात्रा करना कितना अधिक सुविधाजनक हो गया है। इसके अलावा, यात्रा का समय भी कम हो जाता है। विभिन्न तीव्र-गति वाहन इन दिनों उपलब्ध हैं। ये वाहन पूरी तरह से हमारे समाज की रुपरेखा को बदल चुके हैं। महीनों की यात्रा दिनों में और दिनों की यात्रा चंद घंटों में पूरी हो जाती है। इतने द्रुतगति की रेलगाड़ियां, हवाई जहाज यातायात के रूप में काम में लाए जा रहे हैं। दिन-पर-दिन इनकी गति और उपलब्धता में और अधिक सुधार ही किया जा रहा है। विज्ञान ने भाप इंजन को विद्युत इंजन में परिवर्तित किया है। विज्ञान हमारे जीवन के लिए एक वरदान स्वरूप है ।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अच्छा- खासा कमाल किया है। आज कई असाध्य बीमारियों का इलाज मामूली सी छोटी गोलियों से हो जाता है। कैंसर और एड्स जैसे बीमारियों के लिए डॉक्टर्स और चिकित्सा विशेषज्ञ के लोग लगातार प्रयासरत हैं। नई-नई कोशिकाओं के निर्माण में भी सफलता प्राप्त कर ली गई है। इंजीनियरिग आदि क्षेत्रों में भी विज्ञान ने बहुत उन्नति की है। विज्ञान के कारण आज मनुष्य बहुत अधिक सभ्य बन गया है। सारे काम बिजली के द्वारा ही होते है। बिजली को अपने जीवन से अलग नही किया जा सकता। विज्ञान की सहायता से ही समाचार–पत्र, पत्रिकाओं, किताबों आदि की छपाई होती है।
खेतो में अनाज की उपज बढ़ाने के लिए ट्रेक्टर बनाये गये है। वस्त्र आदि की जरूरत पूरी करने के लिए तरह-तरह की मशीने बन चुकी हैं। विज्ञान की मदद से कम समय में अधिक चीजे बनाई जा सकती है। देश
की रक्षा के लिए विज्ञान की मदद से मनुष्य ने अनेकों मिसाइल और हथियार तैयार किए हैं। इस तरह विज्ञान हमारे जीवन का एक अलग नही हो पाने वाला हिस्सा-सा बन गया है। हम इसके बिना कुछ नही कर सकते हैं। विज्ञान ने हमारे रोजाना के कामों को भी आसान कर दिया है।
विज्ञान ने ही आज इंसान उपस्थिति अंतरिक्ष में दर्ज कराई है। अनेकों तरह के मानवजनित मानवरहित यान दिन-रात अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे हैं। अंतरिक्ष में दूसरी जीवंत दुनिया की खोज लगातार जारी है।
जिस प्रकार हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार विज्ञान के भी दो पहलू हैं। पहला सकारात्मक पहलू जो हमने आपको ऊपर बताया है, अब आइए हम विज्ञान के नकारात्मक पहलुओं को देखते हैं।
विज्ञान एक अभिशाप के रूप में
आज विज्ञान ने युद्ध कला को एक नई मुसीबत बना दिया है। कोई भी देश दुनिया के किसी भी देश को सेकंड भर में तबाह कर सकता है। ध्वनि, जल , वायु प्रदूषण,ओजोन लेयर में छेद आदि का जन्मदाता भी विज्ञान ही है। विज्ञान ने मानव को धर्म-विमुख तथा नास्तिक भी बना दिया है। इंसानी कोमल भावनांए लुप्त हो गई हैं तथा वे बुद्धवादी, भौतिकवादी तथा जड़वत यंत्रवत बन गए हैं।
इसलिए रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था-
‘विज्ञान यान पर चढ़ी आज सभ्यता डूबने जाती है।’
इन सारे वर्णनो से आधुनिक विज्ञान और तकनीक की प्रगति और विकास, उसमें अदभुत अविश्वसनीय से लगने वाले चमत्कार तो उभरकर सामने आ ही जाता है और विज्ञान के करिश्में हमे अच्छे लगने लगते हैं। लेकिन साथ ही मानवता पर विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति के माथे पर तनाव की रेखाांए भी उभर आती हैं। वास्तव में विज्ञान अपने में निर्माण तथा सृजन के साथ कई प्रकार के विनाश एंव विध्वंस की कई शक्तियों को समेटे हुए हैं। अब यह उसके प्रयोगकर्ता पर निर्भर है कि वह उसकी शक्तियों का प्रयोग निर्माण के लिए करता है अथवा विनाश के लिए। विज्ञान तो विष्णु की भांति सबका पालनहारी है, पर इसका दुरुपयोग करने पर शिव के समान संहारक बन सकता है। अत: इसकी शक्तियों का प्रयोग इंसानों को सोच समझकर ही करना होगा क्योंकि अंकुश के अभाव में यह विनाशकारी बन जाता है।
किसीने यथार्थ ही कहा है-
“भलाबुरा न कोई रूप से कहलाता है, दृष्टि-भेद स्वंय दोष-गुण दिखलाता है। कोई कमल की कली देखता है कीचड़ में किसी को चांद में भी दाग नजर आता है।”
एक ओर परमाणु ऊर्जा जहां बिजली उत्पन्न करने के काम में लाई जा सकती है। वहीं इससे बनने वाले परमाणु बम वाले हथियार मानव के लिए अत्यंत विनाशकारी हैं। जापान का हिरोशिमा नागासाकी तो याद ही होगा आप सबको। हाल ही में फिर से आए जापान में भूकंप के बाद वहां के परमाणु रिएक्टर्स को क्षति बहुत बड़ी त्रासदी रही। अत: मनुष्य को अपनी आवश्यकता और सुविधानुसार मानवता की भलाई के लिए इनका लाभ उठाना चाहिए न कि दुरुपयोग कर इनके अविष्कारों का गलत फायदा उठाना चाहिए।
विज्ञान की प्रगति
यों तो सृष्टि के आदि से मानव ज्ञान–विस्तार में प्रवृत्त है किन्तु उन्नीसवीं और बीसवीं सदियाँ तो विज्ञान की चरमोन्नति के काल रहे हैं। आज इक्कीसवीं सदी भी विज्ञान के सृष्टि विजयी रथ को और तीव्रता से दौड़ाने में पीछे नहीं रही है ।
जीवन पर विज्ञान के अनन्त उपकार हैं। ऐसा कौन–सा क्षेत्र है जिसे विज्ञान ने अपने उपकारों से कृतज्ञ न बनाया हो ? ऐसा कौन–सा देश है जो यन्त्रों के घर्घर नाद से गूंजता नही रहा हो ? सुई से लेकर अन्तरिक्ष यान तक में विज्ञान की महिमा का गुण गान हो रहा है।
विज्ञान का वरदानी स्वरूप
आज विज्ञान मानव जीवन के लिए हर मनोकामना की पूर्ति करने वाला कल्पवृक्ष बना हुआ है। विज्ञान ने मानव को प्रकृति पर निर्भरता से मुक्त करके उसे अकल्पनीय सुख सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
कृषि क्षेत्र
रासायनिक खादों, उन्नत बीजों, कृषि यन्त्रों, बाँधों, नहरों और कृत्रिम वर्षा की सौगात देकर विज्ञान मानव के कृषि भण्डार को भर रहा है। वहीं नाना प्रकार की गृह निर्माण सामग्री और शिल्पीय ज्ञान से मानव के विलास भवनों की रचना कर रहा है। वही मानव तन को मनमोहक कृत्रिम और पम्परागत वस्त्रों से अलंकृत कर रहा है।
चिकित्सा क्षेत्र
क्षय, कैंसर, कुष्ठ तथा एड्स जैसे घृणित रोगों पर विजय पाने में यह संघर्षरत है। जीन से लेकर क्लोन बनाने तक की मंजिल तय करके विज्ञान जीवन के रहस्य को ढूँढ़ रहा है। प्लास्टिक सर्जरी से कुरूप लोगों को सुंदरता दे रहा है। मस्तिष्क, हृदय और गुर्दो को दोबारा प्रत्यारोपित कर रहा है। अमरता की मंजिल को काफी हद तक प्रशस्त कर रहा है।
विद्युत एवं परिवहन क्षेत्र
भीमकाय यन्त्रों को उसी की विद्युत–शक्ति घुमा रही है। वही जल, थल, नभ में नाना प्रकार के वाहनों से दौड़ लगवा रहा है। वही अन्तरिक्ष और ब्रह्माण्ड के कुँआरे पथों को नाप रहा है।
संचार का क्षेत्र
रेडियो, टेलीफोन, मोबाइल फोन,टेलीविजन और इण्टरनेट जैसे उपकरणों से उसने सारे विश्व को सिकुड़ कर छोटा बना दिया है। रेडियो–दूरबीनों से यह ब्रह्माण्ड की छानबीन कर रहा है, पृथ्वी के गर्भ में झाँक रहा है, सागरों के अतल तल को माप रहा है।
मनोरंजन तथा व्यवसाय का क्षेत्र
मनोरंजन के अनेक साधनों के साथ व्यापार के क्षेत्र में भी उसने ई–मेल, ई–बैंकिंग जैसे साधन उपलब्ध कराये हैं।
विज्ञान अभिशाप के रूप में विज्ञान की उपर्युक्त वरदानी छवि के पीछे उसका अभिशापी चेहरा भी छिपा हुआ है। विज्ञान द्वारा आविष्कृत अस्त्र–शस्त्रों ने ही बस्तियों को श्मशान में बदला है।
हिरोशिमा और नागासाकी जैसे नगरों को विश्व के मानचित्र से मिटाने का श्रेय भी विज्ञान को ही जाता है। विज्ञान ने मनुष्य को घोर भौतिकवादी बनाकर उसके श्रेष्ठ जीवन मूल्यों को पददलित कराया है। विज्ञान की कृपा से ही आज का यह जगमगाता प्रगतिशील विश्व बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लाभ
- यह हमारे जीवन को आसान बना देगा।
- यह हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को व्यवस्थित करने में मदद करता है।
- इससे हमारे काम को तेजी से करने में मदद मिलती है।
- यह दूसरों के साथ आसानी से संवाद करने में मदद करता है।
- यह हमें अन्य संस्कृतियों और समाजों को बेहतर ढंग से जानने और समझने में मदद करता है।
विज्ञान की खोज से, वैज्ञानिक ऐसी वस्तुएं बनाने में सक्षम हो चुके हैं जो जीवन की गुणवत्ता में अथाह परिवर्तन कर सकता है; उदाहरण के लिए, कंप्यूटर, टेलीफोन, टीवी, प्लेन और सूची चलती रहती है। इन आविष्कारों की खोज के साथ, लोग अपनी आकांक्षाओं को और अधिक आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि विज्ञान ने हमारे देश की बहुत मदद की है। यह एक छोटे, गरीब देश को एक प्रगतिशील देश में बदल सकता है।
विज्ञान ही मनुष्य के लिए रोगों के विरुद्ध एकमात्र आशा है। विज्ञान के आविष्कारों और वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के बिना, मलेरिया, कैंसर आदि जैसी कई बीमारियों और बीमारियों को असाध्य रोग माना जाता था और अतीत में बीमारियों को हरा दिया जाता था। प्रौद्योगिकी इतनी लोकप्रिय और आर्थिक रूप से लाभदायक है कि लाभ नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं। इनमें शिक्षा और संचार में सुधार करने की उनकी क्षमता शामिल है। प्रौद्योगिकी व्यावहारिक विज्ञान है।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से आप अपने दैनिक काम को आसान बना सकते हैं। उपयोग और प्रौद्योगिकी को जानने के लिए, आपको जीवन के हर विभाग जैसे, व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार आदि पर पढ़ना होगा। उदाहरण के लिए शिक्षा के मामले में; यह जान लें कि शिक्षक कक्षा में समय की बचत करते हुए चॉकबोर्ड और ग्राफिक्स के बजाय शिक्षण के लिए मल्टीमीडिया का उपयोग करते हैं। व्यवसाय में, एक कंप्यूटर में उसके सभी ग्राहकों के बारे में जानकारी होती है। विज्ञान ने मानवता के लिए कई अनोखे लाभ लाए हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में हुई व्यापक प्रगति ने हमारी जीवन प्रत्याशा को बढ़ाना और शिशु मृत्यु दर को कम करना संभव बना दिया है। मशीनीकरण की खोज, बेहतर बीज, बेहतर सिंचाई तकनीक और कीट नियंत्रण ने कृषि उत्पादकता के स्तर को बढ़ाने में मदद की है। परिवहन में, रेलवे, आधुनिक लाइनर, जेट और मोटर वाहनों ने हमारे जीवन को और अधिक आरामदायक बना दिया है और आधुनिक वाणिज्यिक विकास और औद्योगीकरण के लिए महान अवसर प्रदान किए हैं। कंप्यूटर के आविष्कार ने प्रयोगशालाओं में गणना की प्रक्रिया में मदद की।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नुकसान
- गैर-जिम्मेदार लोग इसे आसानी से संभाल सकते हैं।
- हम उस पर बहुत अधिक निर्भर होंगे। जब तकनीक विफल हो जाती है, तो हम असहाय हो जाते हैं (किसी न किसी रूप में)
- कभी-कभी यह हमारे स्वास्थ्य और हमारी जीवन शैली को प्रभावित करता है (हम आत्मसंतुष्ट और आलसी होंगे। रसायन खतरनाक हैं)
- यह हमारे सरल और स्वस्थ जीवन (पारंपरिक जीवन शैली जो मुझे याद आती है) को नष्ट कर देता है।
- हमारे निजी जीवन पर आक्रमण।
जहां एक तरफ विज्ञान और तकनीक ने हमारे लिए ढेर सारे अजूबे लाए हैं, वहीं दूसरी तरफ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नुकसान भी हैं। सबसे पहले, उसने हमारे जीवन में चिंता बढ़ा दी है। दूसरा, जब तकनीक गलत हाथों में पड़ जाती है, तो इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे साइबर अपराध की बढ़ती दर, हैकिंग, व्यक्तिगत जानकारी की चोरी और पोर्नोग्राफ़ी वेबसाइटों। तीसरा, प्रौद्योगिकी ने आतंकवादियों के लिए विकल्प और अवसर भी बढ़ाए हैं। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी ने हमारे शारीरिक प्रयासों को हटा दिया है और हम अधिक शानदार और आरामदायक जीवन प्राप्त कर रहे हैं।
नई प्रौद्योगिकियों के एकीकरण में पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं को गरीब अर्थव्यवस्थाओं के रूप में देखा जाता है और दुनिया में उनकी प्रगति बाधित होती है। प्रदूषण के लिए विज्ञान जिम्मेदार रहा है और उसने हमें परमाणु बम दिया है जिससे हमारे अस्तित्व को खतरा है। लेकिन इसमें भी दोष विज्ञान का नहीं है, बल्कि विज्ञान की खोजों का दुरुपयोग करने की मनुष्य की मंशा में है। विज्ञान आंतरिक रूप से अच्छा या बुरा नहीं है। यह एक व्यवस्थित तरीके से ज्ञान प्राप्त करने का एक तरीका है।
नए मोबाइल फोन का नुकसान यह है कि बहुत से लोग एक ही समय में हम सभी के साथ संवाद कर सकते हैं। वह कई तरह से स्कैम और स्पैम बना सकता है। युवाओं को भी गैजेट्स की इतनी लत लग गई है कि वे उसके साथ बहुत अधिक समय बिता सकते हैं। उत्पादन का एक नुकसान वह ऊर्जा है जिसका वह उपयोग करता है। मशीनों को चलाने में काफी ऊर्जा खर्च होती है। और इसलिए, हमें अधिक ईंधन की आवश्यकता है, और यह हमारे पर्यावरण के लिए बहुत अधिक अपशिष्ट और प्रदूषण छोड़ेगा। यह हमारे समय की तकनीक के लिए सबसे विनाशकारी कीमत है।
हम तकनीक के लाभों के साथ आने वाली असुविधाओं से बच नहीं सकते हैं। बल्कि विज्ञान की खोजों का दुरुपयोग करने के लिए मनुष्य के इरादे से। विज्ञान आंतरिक रूप से अच्छा या बुरा नहीं है। यह एक व्यवस्थित तरीके से ज्ञान प्राप्त करने का एक तरीका है। नए मोबाइल फोन का नुकसान यह है कि बहुत से लोग एक ही समय में हम सभी के साथ संवाद कर सकते हैं। वह कई तरह से स्कैम और स्पैम बना सकता है।
कवि दिनकर ने विज्ञान की विभूति पर इठलाने वाले आज के मानव को बहुत पहले से ही सावधान किया है, उन्होंने कहा है,
“सावधान मनुष्य यदि विज्ञान है तलवार, तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार। हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी नादान, फूल काँटों की तुझे, कुछ भी नहीं पहचान।”
वस्तुतः विज्ञान न वरदान है और न ही अभिशाप। मनुष्य अपनी बुद्धि के उपयोग के बाद ही उसके स्वरूप की निर्णायक है। अत: मनुष्य जाति का कल्याण इसी में है कि वह विज्ञान को अपना स्वामी न बनाकर उसे सेवक की भूमिका तक ही सीमित रखे।